शासकीय जमुना प्रसाद वर्मा स्नातकोत्तर कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, बिलासपुर छत्तीसगढ़ के प्राचीनतम् एवं महत्वपूर्ण महाविद्यालयों में से एक है । सन् 1944 में महाकौशल शिक्षण समिति द्वारा एस.बी.आर. महाविद्यालय के रूप में इसकी स्थापना की गई । यशस्वी दानदाता श्री शिव भगवान रामेश्वर लाल बजाज जी द्वारा महाविद्यालय हेतु भूमि दान दी गई थी । इसके संस्थापक प्राचार्य मूर्धन्य साहित्यकार श्री बलदेव प्रसाद जी मिश्र थे । सन् 1972 में मध्यप्रदेश शासन द्वारा इसे अधिकृत किया गया और 1985 में विज्ञान संकाय को पृथक कर इसे शासकीय कला और वाणिज्य महाविद्यालय के रूप में स्थापित किया गया । वर्ष 2009 में छत्तीसगढ़ शासन ने इसे नया नाम शासकीय जमुना प्रसाद वर्मा स्नातकोत्तर कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय प्रदान किया है । महाविद्यालय में प्रारंभ से ही कला, वाणिज्य एवं विज्ञान विषयों में स्नातक स्तर पर एवं हिन्दी, अंग्रेजी, इतिहास, राजनीति शास्त्र और अर्थशास्त्र विषयों में स्नातकोत्तर कक्षाएं संचालित हो रहीं है । अनुसूचित जाति एवं जनजाति बहुल इस क्षेत्र में शैक्षणिक मूल्यों की स्थापना और समाज के पिछड़े वर्गो तक ज्ञान के प्रचार-प्रसार हेतु महाविद्यालय निरन्तर सक्रिय रहा है । विगत् 71 वर्षो से भी अधिक समय से यह महाविद्यालय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत है और समाज के अनेक प्रतिष्ठित व उच्च पदस्थ विद्यार्थियों के अध्ययन का केन्द्र रहा है । संकायों का उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम तथा रोजगारोन्मुखी मार्गदर्शन आदि यहां के वैशिष्ट्य हैं । उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपने लम्बे कीर्तिमान के साथ महाविद्यालय जनभागीदारी समिति के अमूल्य सहयोग से अपने संसाधनों का सही दिशा में अधिकतम विस्तार कर रहा है । आधुनिक तकनीकों एवं विधाओं के माध्यम से अध्ययन-अध्यापन, व्यावसायिक एवं रोजगारोन्मुखी शिक्षा, व्यावसायिक मार्गदर्शन प्रकोष्ठ, परिसर साक्षात्कार, शिक्षक-अभिभावक योजना, व्यावसायिक परीक्षा प्रकोष्ठ आदि महाविद्यालय की प्रत्यक्ष उपलब्धियां है । महाविद्यालय में राष्ट्रीय कैडेट कोर (एन.सी.सी.), राष्ट्रीय सेवा योजना (एन.एस.एस.) एवं रेडक्रास की सशक्त इकाईयां कार्यरत है । महाविद्यालय का क्रीड़ा-विभाग अनेक कीर्तिमान स्थापित कर चुका है । उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आए विश्वव्यापी बदलाव में मद्देनजर पारम्परिक उच्च शिक्षा के साथ-साथ ज्ञान और कौशल का समावेश करते हुए विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का व्यापक दृष्टिकोण महाविद्यालय ने अपनाया है । आने वाले दशकों में जिन क्षेत्रों में विकास की अपार संभावनाएं है और रोजगारोन्मुखता के दृष्टिकोण से संभावित विषयों का चयन किया गया है । जैसे - माइक्रोबायोलॉजी, कम्प्यूटर साइंस, बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बी.बी.ए.) तथा पी.जी. डिप्लोमा पाठ्यक्रम महाविद्यालय में संचालित किए जा रहे हैं । महाविद्यालय के विद्यार्थी अपने लिए स्वयं का रोजगार भी निर्मित कर सके ऐसी व्यवस्था पाठ्यक्रम के अंश रूप में अथवा पाठ्येत्तर गतिविधियों के रूप में स्थापित की गई है । हमारा प्रयास रहता है कि महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं में कौशल का विकास हो सके ताकि पारम्परिक उपाधि ग्रहण करने के साथ वे जीवनोपयोगी दक्षताओं में भी सक्षम हो सकें और उनमें उद्यमिता विकासित हो सके । इसका भी उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है । महाविद्यालय में प्रविष्ट प्रत्येक विद्यार्थी का विकास अध्ययन-अध्यापन तक ही सीमित नहीं है अपितु महाविद्यालय के प्राचार्य से लेकर प्रत्येक कर्मचारी तक विद्यार्थियों के समुचित व्यक्तित्व विकास हेतु नैतिक मूल्य बोध, कैरियर निर्माण, सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं सामाजिक पर्यावरणीय संचेतना का विकास, स्वरोजगार तथा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी आदि अन्यान्य महत्वपूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति हेतु तत्पर रहते हैं । महाविद्यालय के अनेक भूतपूर्व छात्र-छात्राएं समाज के प्रतिष्ठित पदों पर स्थापित हैं और देश-विदेश में अपने क्षेत्र का नाम रोशन कर रहें हैं । हम, छात्रों, अभिभावकों और समस्त अकादमिक जगत से सम्बल और सुझाव के आकांक्षी हैं ।