शासकीय जमुना प्रसाद वर्मा स्नातकोत्तर कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय बिलासपुर का हिंदी विभाग प्रतिष्ठित और अतीत के वैभव से संपन्न है। हिंदी विभाग के लिए यह गर्व का विषय हे कि सन् 1944 में स्थापित इस महाविद्यालय के संस्थापक प्राचार्य मूर्धन्य हिंदी साहित्यकार श्री बलदेव प्रसादजी मिश्र थे | महाविद्यालय में आरंभ से ही स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाएं अनवरत् रुप से संचालित हो रही है। गुणवत्ता का एक प्रमाण यह भी है कि हिंदी विभाग के छात्र/छात्राओं ने विश्वविद्यालय स्तर पर स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षा में स्वर्णपदक प्राप्त कर महाविद्यालय का नाम रोशन किया । सभी प्राध्यापक समय-समय पर राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सेमीनारों, कार्यशालाओं आदि में प्रतिभागिता प्रदर्शित करते हुए निरंतर ज्ञान-संवर्धन तथा साहित्य एवं संस्कृति के संरक्षण, परिरक्षण विकास-परिवर्धन हेतु सोच एवं संवेदना दोनों स्तरों पर पूरी निष्ठा से प्रयासरत है|
महाविद्यालय के हिंदी विभाग में स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं में समस्त अधुनातन पाठ्य विधियों का उपयोग करते हुए अनेक नवाचार (इनोवेशन) एवं विविध परियोजनाओं (प्रोजेक्ट्स) आदि के माध्यम से अत्यंत सार्थक शिक्षण कार्य किया जाता है ।
कालान्तर में अनेक विद्वान प्राध्यापकों ने विभाग को अपनी सेवाएं प्रदान कर समृद्ध किया है। इस महाविद्यालय के हिंदी विभाग में विचारक प्राध्यापकों की लंबी श्रृंखला रही है।
जैसे:-
1. डॉ सियाराम सक्सेना प्रवर 2 डॉ. गंगानारायण त्रिपाठी 3. डॉ आर डी सक्सेना 4. डॉ कुसुम सक्सेना 5. अचरज मिश्र 6. डॉ सरोज मिश्र 7. डॉ. विनय कुमार पाठक 8. डॉ सुमन वर्मा 9, डॉ. ज्योति पाण्डेय
10. डॉ. राजाराम शुक्ल 11. डॉ. मनहरण लाल स्वर्णकार 12. डॉ. कल्याणी वर्मा 13. डॉ. शीलप्रभा मिश्र 14. डॉ. अंजली शर्मा 15 डॉ. नंदिनीतिवारी आदि |
वर्तमान में स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर हिंदी साहित्य के साथ-साथ हिंदी भाषा का भी शिक्षण कार्य किया जाता है । स्नातकोत्तर हिंदी, एम.ए. पूर्वार्द्ध की कक्षाओं में सेमेस्टर पद्धति लागू है | जिसकी नियमित कक्षाओं के साथ-साथ, समय-समय पर विषय से संबंधित व्याख्यान भी कराया जाता है । हिंदी साहित्य परिषद के गठन के अंतर्गत भी कार्यक्रम आयोजित किए जाते है । पत्रकारिता प्रशिक्षण के अंतर्गत व्याख्यान एवं लोक साहित्य के अंतर्गत शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन भी किया जाता है |
विषय विशेषज्ञता के वर्तमान दौर में प्रयोजन मूलक हिंदी, लोक साहित्य और पत्रकारिता जैसे अनिवार्य वैकल्पिक समूह भी उपलब्ध कराये गये हैं।
उपलब्धियां:
1. प्रकाशन प्रकोष्ठ के अंतर्गत निरन्तर चार वर्षों से महाविद्यालयीन पत्रिका सृजन का संपादन |
2. सत्र 2020-21 कोविड-19 की भयावहता के लिये हमेशा स्मरणीय रहेगा, परन्तु इस विषम परिस्थिति में भी हिन्दी विभागके प्राध्यापक एवं सहायक प्राध्यापकों ने संकाय संवर्धन, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार में आभाषी पटल के माध्यम सेसक्रिय सहभागिता प्रदर्शित की ।
3. विभाग के शिक्षकों ने कोविड-19 की चरम सीमा पर महाविद्यालय में प्रवेश कार्य को सम्पन्न कराने में महती भूमिकानिभायी |
4. ई-क्लास, केन्द्रीय स्तर पर एवं महाविद्यालयीन स्तर पर समायोजित करके ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों तक पाठ्य सामग्री
पहुँचाने में सहयोग किया ।
5. विभाग के सभी प्राध्यापकों ने स्नातक स्तर की पाठ्य सामग्री को cg.school.in में upload किया ।
विभाग की सामाजिक गतिविधियाँ:
कोरोना काल में हिन्दी विभाग के बच्चों ने मास्क वितरण, भोजन एवं बिस्किट वितरण का कार्य किया एवं कुछ छात्रों ने खाली समय में छोटे बच्चों को पढ़ाने का काम सम्पन्न किया । कुछ छात्र-छात्राओं ने मास्क बनाकर एन.एस.एस. के माध्यम से जन-समूह को जागरूक बनाने का संदेश दिया ।